नई दिल्ली, (पीटीआई) भारत ने विकासशील देशों को प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने में मदद करने के लिए एक समर्पित बहुपक्षीय कोष स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है। दक्षिण कोरिया के बुसान में प्लास्टिक प्रदूषण पर कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय समझौते के लिए वार्ता के अंतिम दौर के दौरान प्रस्तुत प्रस्ताव के अनुसार, यह कोष मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत स्थापित सफल बहुपक्षीय कोष के आधार पर बनाया जाएगा, जिसमें ओजोन क्षरण को संबोधित किया गया था।
भारत के प्रस्ताव में कहा गया है कि विकसित देशों को प्लास्टिक प्रदूषण पर आगामी वैश्विक समझौते द्वारा निर्धारित नियमों और लक्ष्यों को पूरा करने में विकासशील देशों की मदद करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों तक पहुंच सहित वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करनी चाहिए। प्रस्ताव के अनुसार, यह कोष विकासशील देशों को अनुदान (ऋण नहीं) प्रदान करेगा ताकि उनके लिए पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं को अपनाना आसान हो सके।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, विकसित देशों को समय-समय पर कोष में योगदान देना होगा और सहमत दिशानिर्देशों के आधार पर निजी क्षेत्र के दान की अनुमति देनी होगी। प्रस्ताव में कहा गया है कि विकासशील देशों द्वारा अनुपालन इस बात पर निर्भर होना चाहिए कि विकसित देश पर्यावरण अनुकूल विकल्पों को अपनाने में शामिल अतिरिक्त लागतों को वहन करें।
भारत ने फंड के संचालन की देखरेख के लिए विकसित और विकासशील देशों के बराबर प्रतिनिधित्व वाली एक सहायक संस्था के गठन का सुझाव दिया है, जिसमें नीतियां बनाना, संसाधनों का प्रबंधन करना और फंड का उचित वितरण सुनिश्चित करना शामिल है।