रूस में इस विषय पर केंद्रित कार्यक्रम में लखनऊ के कहानीकार ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
लखनऊ, (पीटीआई) लखनऊ के कहानीकार हिमांशु बाजपेयी ने महान फिल्म निर्माता राज कपूर और गीतकार शैलेंद्र की दोस्ती पर केंद्रित अपनी दास्तान से सप्ताहांत में रूस में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
शनिवार को मॉस्को में भारतीय दूतावास में बाजपेयी ने ‘हिंदी सिनेमा के शोमैन’ की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में “दास्तान राज कपूर-शैलेंद्र की” (राज कपूर-शैलेंद्र की कहानी) नामक दास्तानगोई प्रस्तुति दी। 14 दिसंबर, 2024 को राज कपूर की 100वीं जयंती है।
प्रगति टिपनिस द्वारा उर्दू से रूसी भाषा में अनुवादित बाजपेयी की प्रस्तुति ने भारतीय और रूसी दोनों दर्शकों को प्रभावित किया। मिशन के उप प्रमुख निखिलेश गिरि ने दर्शकों को बीते युग में ले जाने के लिए बाजपेयी की कहानी कहने की कला की प्रशंसा की। गिरि ने कार्यक्रम में कहा, “यह एक मंत्रमुग्ध करने वाली कला है और बाजपेयी इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
हमें उम्मीद है कि हम उन्हें अगले साल फिर से रूस आमंत्रित करेंगे।” टिपनिस के अनुसार, यह पहली बार था जब रूस के लोगों ने दास्तानगोई की “शानदार भारतीय परंपरा” का अनुभव किया। दास्तानगोई उर्दू में कहानी कहने की सदियों पुरानी पारंपरिक कला है। फ़ारसी शब्दों ‘दास्तान’ (कहानी) और ‘गोई’ (बताना) से व्युत्पन्न, इसमें नाटकीय अंदाज़ के साथ लंबी, जटिल कहानियाँ सुनाना शामिल है। उन्होंने कहा, “दास्तान प्रदर्शनों ने दोनों देशों को करीब ला दिया है।” बाजपेयी ने रविवार को पेरेडेलकिनो में विश्व प्रसिद्ध राइटर्स विलेज में यही ‘दास्तान’ पेश की, जो मैक्सिम गोर्की जैसे लेखकों के तत्वावधान में सोवियत काल के दौरान स्थापित वैश्विक साहित्यिक हस्तियों का केंद्र है।
बाजपेयी ने मॉस्को से फोन पर पीटीआई को बताया, “यह प्रतिष्ठित स्थल पर आयोजित पहला भारतीय सांस्कृतिक कार्यक्रम था।” राज कपूर, प्रतिष्ठित हिंदी फ़िल्मों “आवारा”, “बरसात”, “श्री 420”, “मेरा नाम जोकर” और “संगम” के फ़िल्मकार और अभिनेता, को तत्कालीन सोवियत संघ में काफ़ी दर्शक मिले और उनकी फ़िल्मों और संगीत को देश में काफ़ी लोकप्रियता मिली। उनके पुराने दोस्त शैलेंद्र ने उनकी कई फ़िल्मों के लिए गीत लिखे।